प्राचीन को नवीन बनाओ प्रगतिशील संवेदनशील बनो। प्राचीन को नवीन बनाओ प्रगतिशील संवेदनशील बनो।
जिधर चाहो उधर नाव पतवार करने की , द्रोण को अब अगूंठा न देना है ! जिधर चाहो उधर नाव पतवार करने की , द्रोण को अब अगूंठा न देना है !
ये एक सन्देश है ,शारीरिक और मानसिक शोषण का शिकार हुई और उससे मुक्त हुई महिलाओं और लड़कियों के लिए .उन... ये एक सन्देश है ,शारीरिक और मानसिक शोषण का शिकार हुई और उससे मुक्त हुई महिलाओं औ...
निजी ज़िन्दगी से लेकर सामाजिक ज़िन्दगी तक , हर नयी दिशा के साथ 'बवाल ' मचना जुड़ा है। निजी ज़िन्दगी से लेकर सामाजिक ज़िन्दगी तक , हर नयी दिशा के साथ 'बवाल ' मचना जुड़ा...
सच मानो मेरे यारो वो ही, काँटों पर चलकर मंजिल को पाते हैं। सच मानो मेरे यारो वो ही, काँटों पर चलकर मंजिल को पाते हैं।
ऐसी होगी मेरी दीपावली इस बार ऐसी होगी हम सब की दीपावली इस बार। ऐसी होगी मेरी दीपावली इस बार ऐसी होगी हम सब की दीपावली इस बार।